➥ रक्षा बंधन क्या है
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| (भाई-बहन का सामान्य भौतिक सम्बंध) |
✓ बंधन किसे कहते है ? - बंधन एक प्रकार का संकल्प है, जोकि प्रतीक रूप में डोर या गाँठ द्वारा प्रदर्शित करते हैं और जिसे प्रतिज्ञा की भांति माना जाता है।
➥ भाई-बहन से ईतर व्यापक अर्थ भी है?
परिभाषा के अनुसार, रक्षाबंधन की राखी हम उसे बाँध सकते है जिससे हमें रक्षा मिल सकता है अर्थात यह किसी रिश्ते पर निर्भर नहीं करता। इस तरह इसके मायने भाई-बहन के त्यौहार से हटकर भी है अर्थात रक्षांबधन हो सकता है -
➠ एक पुरुष और स्त्री के मध्य,
➠ पति-पत्नि के मध्य,
➠ छात्र का अध्यापक या अध्यापिका के मध्य,
➠ एक नौकर और मालिक के मध्य,
➠ एक प्रशासनिक अध्यक्ष या अधिकारी व दूसरे के मध्य
➠ एक भक्त का भगवान के मध्य
➥ रक्षाबंधन सम्बंधी पौराणिक कहानियाँ
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| (कृष्ण-दौपदी रक्षाबंधन) |
भगवान कृष्ण को द्रौपधी की इस कार्य से काफी प्रसन्नता हुई और उन्होंने उनके साथ एक भाई बहन का रिश्ता निभाया. वहीं उन्होंने उनसे ये भी वादा किया की समय आने पर वो उनका जरुर से मदद करेंगे.
बहुत वर्षों बाद जब द्रौपधी को कुरु सभा में जुए के खेल में हारना पड़ा तब कौरवों के राजकुमार दुहसासन ने द्रौपधी का चिर हरण करने लगा. इसपर कृष्ण ने द्रौपधी की रक्षा करी थी और उनकी लाज बचायी थी.
जब असुरों के राजा बली ने देवताओं के ऊपर आक्रमण किया था तब देवताओं के राजा इंद्र को काफी क्षति पहुंची थी. अपने पति को संकट से बचाने के लिए इंद्र की पत्नी सची ने भगवान विष्णु जी के पास गईं।
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| (श्रीविष्णु व सचि के मध्य रक्षात्मक बंधन) |
✓ इसीलिए पुराने समय में युद्ध में जाने से पूर्व राजा और उनके सैनिकों के हाथों में उनकी पत्नी और बहनें राखी बांधा करती थी जिससे वो सकुशल घर जीत कर लौट सकें.
इसपर माता ने बलि से विष्णु जी को उनके साथ वापस वैकुंठ लौट जाने का आग्रह किया. इसपर चूँकि बलि वचनबद्ध था इसलिए उन्हें भगवान विष्णु को वापस लौटना पड़ा. इसलिए राखी को बहुत से जगहों में बलेव्हा भी कहा जाता है. (स्कंद पुराण, पद्मपुराण और श्रीमद्भा गवत पुराण)
भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर को ये सलाह दी की महाभारत के लड़ाई में खुदको और अपने सेना को बचाने के लिए उन्हें युद्ध से पहले राखी का उपयोग करना चाहिए। इसपर माता कुंती ने अपने नाती के हाथों में राखी बांधी थी वहीँ द्रौपधी ने कृष्ण के हाथो पर राखी बांधा था.
भगवान गणेश के दोनों पुत्र सुभ और लाभ इस बात को लेकर परेशान थे की उनकी कोई बहन नहीं है. इसलिए उन्होंने अपने पिता को एक बहन लाने के लिए जिद की. इसपर नारद जी के हस्तक्षेप करने पर बाध्य होकर भगवान् गणेश को दैवीय अंतरंग शक्ति द्वारा संतोषी माता को उत्पन्न करना पड़ा।
लोककथा के अनुसार, मृत्यु के देवता यम ने करीब 12 वर्षों तक अपने बहन यमुना के पास नहीं गए, इसपर यमुना को काफी दुःख पहुंची । बाद में गंगा के परामर्श पर यम जी ने अपने बहन के पास जाने का निश्चय किया।
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| ( यम और यमुना के मध्य रक्षाबंधन ) |
अपने भाई के आने से यमुना को काफी खुशी प्राप्त हुई। यम ने यमुना से पूछा कि तुम्हे क्या चाहिए? जिसपर उन्होंने कहा की मुझे आपसे बार बार मिलना है। फलस्वरूप यम ने उनकी इच्छा-पूर्ति भी कर दिया। इससे यमुना हमेशा के लिए अमर हो गयी।
➥ रक्षाबंधन सम्बंधी ऐतिहासिक कहानियाँ
जब सिकंदर(Alexander) ने भारत जितने के लिए अपनी पूरी सेना के साथ यहाँ आया था। उस समय भारत में सम्राट पुरु(Porus) का काफी बोलबाला था। जहाँ सिकंदर ने कभी किसी से भी नहीं हारा था उन्हें सम्राट पुरु के सेना से लढने में काफी दिक्कत हुई.
जब सिंकंदर की पत्नी को रक्षा बंधन के बारे में पता चला तब उन्होंने सम्राट पुरु के लिए एक राखी भेजी थी जिससे की वो सिकंदर को जान से न मार दें. वहीँ पुरु ने भी अपनी बहन का कहना माना और सिकंदर पर हमला नहीं किया था.
जब राजपूतों को मुस्लमान राजाओं से राज्य-रक्षा हेतु युद्ध करना पड़ रहा था, उस समय चित्तौड़ की रानी कर्णावती हुआ करती थी। वो एक विधवा रानी थी। ऐसे में गुजरात के सुल्तान बहादुर साह ने उनपर हमला कर दिया। ऐसे में रानी अपने राज्य को बचा सकने में असमर्थ होने लगी. इसपर उन्होंने एक राखी सम्राट हुमायूँ को भेजा उनकी रक्षा करने के लिए. और हुमायूँ ने भी अपनी बहन की रक्षा के हेतु अपनी एक सेना की टुकड़ी चित्तौड़ भेज दिया. जिससे बाद में बहादुर साह के सेना को पीछे हटना पड़ा था.
➥ क्या दूसरे धर्मों में रक्षा बंधन मनाते हैं ?
हमने आपको पहले ही बताया कि रक्षाबंधन सिर्फ एक का दूसरे के प्रति रक्षात्मक कर्तव्य को दर्शाता है इसलिए यह सिद्धांत सर्वत्र कमोबेश मौजूद है। आपको थोड़ा अचरज होगा ये जानकर कि अन्य धर्मों में भी रक्षाबंधन जैसे त्यौहार का स्वरूप हमें दिखता है।
◈ जैन धर्म में – जैन धर्म में उनके जैन पंडित भक्तों को पवित्र धागा प्रदान करते हैं.
◈ सिक्ख धर्म में – सिख धर्म में भी इसे भाई और बहन के बीच मनाया जाता है जिसे राखाडी या राखरी कहा जाता है.
➥ इसे किस समय और कैसे मनाते हैं ?
◉ 2022 में रक्षाबंधन - 11 अगस्त 2022, गुरुवार को। [ स्वतंत्रता दिवस से पहले ]
◉ मुहूर्त - शुबह 05:49 से शाम के 6:01 बजे तक
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30 August 2023 |
बुधवार |
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19 August 2024 |
सोमवार |
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9 August 2025 |
शनिवार |
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28 August 2026 |
शुक्रवार |
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17 August 2027 |
मंगलवार |
♦ सांसारिक दृष्टि - थाली मे ऱाखी ,चंदन ,दीपक ,कुमकुम, हल्दी,चावल के दाने नारियल ओर मिठाई लिए हुए बहन अपने भाई के मस्तक पर टीका लगाकर रक्षा का बंधन(राखी) बांधती है। बहन अपने भाई की सुरक्षा, स्वास्थ्य, दीर्घायु और बेहतरी के लिए प्रार्थना करती है जबकि भाई बहन को उपहार देते हुए उसकी आजीवन रक्षा हेतु संकल्पबद्ध होता है और उसकी खुशी की कामना करता है।
♦ आध्यात्मिक दृष्टि - एक साधक भाई या बहन एक-दूसरे को ईश्वर का अंश मानते हैं और हरि और गुरू से अपनी रक्षा-सुरक्षा तथा साधना में बढ़ोत्तरी हेतु प्रार्थना करते हैं...साथ ही समाजिक-व्यवस्था के तहत सांसारिक भाई-बहन जैसा व्यवहार करते हैं लेकिन प्रेम और स्नेह केवल अपने ईश्वर से करते हैं।
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| ( रक्षाबंधन ) |
➥ भारत के दूसरे क्षेत्रों में रक्षा बंधन कैसे ?
चूँकि भारत एक बहुत ही बड़ा देश है इसलिए यहाँ पर दूसरे प्रान्तों में अलग अलग ढंग से त्योहारों को मनाया जाता है।
यहां पर राखी को एक देय माना जाता है भगवान वरुण को, जो की समुद्र के देवता है। इस दिन वरुण जी को नारियल प्रदान किये जाते हैं. इस दिन नारियल को समुद्र में फेंका जाता है. इसलिए इस राखी पूर्णिमा को नारियल पूर्णिमा भी कहा जाता है.
दक्षिण भारत में, रक्षा बंधन को अवनी अबित्तम भी कहा जाता है। ये पर्व ब्राह्मणों के लिए ज्यादा महत्व रखता है। क्योंकि इस दिन वो स्नान करने के बाद अपने पवित्र धागे (जनेयु) को भी बदलते हैं मन्त्रों के उच्चारण करने के साथ। इस पूजा को श्रावणी या ऋषि तर्पण भी कहा जाता है।
उत्तरी भारत में रक्षा बंधन को कजरी पूर्णिमा कहते हैं। इस दौरान खेत में गेहूं और दूसरे अनाज को बिछाया जाता है। वहीं ऐसे मौके में माता भगवती की पूजा की जाती है. और माता से अच्छी फसल की कामना की जाती है।
गुजरात के लोग इस पुरे महीने के प्रत्येक सोमवार को शिवलिंग के ऊपर पानी चढाते हैं. इस पवित्र मौके पर लोग रुई को पंच्कव्य में भिगोकर उसे शिव लिंग के चारों और बांध देते हैं. इस पूजा को पवित्रोपन्ना भी कहा जाता है.
ग्रंथो में रक्षाबंधन को ‘पुन्य प्रदायक ‘ माना गया है अर्थात् इस दिन शुभ और अच्छे कर्म का फलदायी परिणाम मिलता है। साथ ही रक्षाबंधन को ‘विष तारक‘ या विष नासक भी माना जाता है।
➥ जगद्गुरू श्री कृपालु जी महाराज ने क्या कहा?
◉ रक्षाबन्धन संदेश ◉
रक्षा तो वो करे जो हमेशा साथ रहे. किस बेटे के साथ बाप हमेशा रहेगा? किस बीबी के साथ उसका पति हमेशा रहेगा? किस बहिन के साथ भाई हमेशा रहेगा? लेकिन भगवान् हमारा बाप, हमारा भाई, हमारा बेटा, ऐसा है जो सदा हमारे साथ रहता है. एक बटा सौ सेकंड को भी हमसे अलग नहीं जाता :
सयुजा सखाया समानं वृक्षम् परिषस्वजाते (श्वेताश्वेतरोपनिषद 4-6)
समाने वृक्षे पुरुषो निमग्नोनिशया शोचति मुह्यमानः (श्वेताश्वतरोपनिषद 4-7)
प्रतिक्षण,
एको देवः सर्वभूतेषु गूढ़: सर्वव्यापी सर्वभूतान्तरात्मा (श्वेताश्वतरोपनिषद 7-11)
ईश्वरः सर्वभूतानां हृद्येशेर्जुन तिष्ठति (गीता 18-61)
वो बैठा है वहाँ. आता जाता है? नहीं. जीव उसी में रहता है. 'य आत्मनि तिष्ठति' (वेद)
वेद कहता है, ये जीव परमात्मा में रहता है. देखो ! ये जो आप लोगों के यहाँ ये लाइट हो रही है, ये पंखें चल रहे हैं. ये क्या है? इलैक्ट्रिसिटी, बिजली. ये बिजली जो है, पॉवर हाउस से लगी है न. हाँ ! आती जाती है. न न न. आती जाती होगी तो जलती बुझती रहेगी. उससे लगी है तब तक लाइट है. लगना बंद हो गया पॉवर हाउस से, बस अंधेरा हो गया.
चेतनश्चेतनानामेको बहूनां यो विदधति कामान् ( श्वेताश्वतरोपनिषद 6-13 )
वेद कहता है - ये चेतन जो है जीव, इसमें चेतना देता रहता है प्रतिक्षण. तब ये हम चेतन हैं. वो अगर चेतना देना बंद करे तो हम जीरो बटे सौ हो जायें. जैसे ये तकिया ऐसे हो जायें (दिखाते हुए). तो वो (भगवान्) हमारी रक्षा करता है. मां के पेट में हम उल्टे टंगे रहे, उल्टे. अगर उसी तरह उल्टा आपको कोई टाँग दे, दो हफ्ते को उल्टा, पैर ऊपर सिर नीचे, तो पहलवान भी जीरो बटे सौ हो जाय. इतना कोमल हमारा शरीर था माँ के पेट में, उल्टे टंगे रहे, लेकिन वो रक्षा करता रहा. रक्षा किया उसने पैदा होते ही, उसने फिर रक्षा किया, माँ के स्तन में दूध बना दिया, फिर संसार बना दिया. फिर रक्षा किया, खाने-पीने का सामान और हर क्षण हमारे साथ चेतना दे रहा है, हमारे पूर्व जन्म के कर्मों के हिसाब का फल दे रहा है. वर्तमान काल के कर्मों को नोट करके जमा कर रहा है. इतनी रक्षा करता है वो (भगवान्)......
...तो रक्षाबंधन के दिन हरि-गुरु से रक्षा की आशा करके और उनके शरणागत होकर के हमको अपनी रक्षा करवानी चाहिए...."
- जगदगुरुत्तम श्री कृपालु जी महाराज
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| (हमारा सच्चा रक्षक) |
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और, कौन करेगा रक्षा? केवल भगवान! केवल भगवान!! केवल भगवान!!! या महापुरुष।
तो हम लोग नासमझी से आपस ही में रक्षा करवाते हैं एक दूसरे का। और कहीं कोई रक्षा वक्षा नहीं होती। सब जोकरी है।
तो, रक्षाबन्धन के दिन हरि गुरु से रक्षा की आशा करके और उनके शरणागत होकर के हमको अपनी रक्षा करवानी चाहिये।
निज रक्षा हित कित जाऊं बता दे !!
रक्षा करि नित , रक्षा सूत्र निभा दे!!
नव नव अवतार होवे है बता दे !!
निज दासी माया से रक्षा दिला दे !!
जगत भैया रक्षा करें का बता दे !!
जग से हटा के मन हरि में लगा दे !!
रक्षा करू रक्षा करू मेरे नंदनंदन !!









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